April 15, 2025

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संपूर्ण भारत के साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ. दिनेश श्रीवास द्वारा लिखित प्रसिद्ध उपन्यास “माली” का हुआ विमोचन

प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज रायपुर: –

डॉ. दिनेश श्रीवास द्वारा लिखित बहुचर्चित और बहुप्रतिक्षित उपन्यास माली का
विमोचन रायपुर में समपन्न हुआ। प्रीबुकिंग में ही बेस्टसेलर बन चुकी यह उपन्यास रिकार्ड संख्या में बिक चुकी है। आज रायपुर में पूरे भारत के साहित्यकारों की उपस्थिति में इसका विमोचन किया गया। नौकरशाहों के कथा-व्यथा पर लिखी गई यह किताब वर्तमान जीवन के अनेक समस्यों को पाठकों के समक्ष रखती है। विमोचन कर्ताओं में भावनगर वि.वि. के पूर्व कुलपति डॉ. वाघेला, गुजरात के प्रमुख नाट्यनिर्देशक एवं रंगकर्मी डॉ. नवनीत चौहान एवं डॉ. अनिल चौहान, कश्मीर विवि के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ आर डी कटारा, शा. पीजी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. एस.सी गोयल, रायबरेली विवि के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. चम्पा श्रीवास्तव, पुणे विश्वविद्यालय के डॉ. भालेराव आदि प्रमुख हैं। विमोचन कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. अभिषेक पटेल ने उपन्यास के लेखक डॉ. दिनेश श्रीवास का साहित्यिक परिचय देते हुए कहा कि यद्यपि डॉ दिनेश श्रीवास का यह प्रथम उपन्यास है लेकिन कम उम्र में उन्होंने ऐसा उपन्यास लिख दिया है जो चर्चाओं में है। इस उपन्यास में उनकी आलोचना दृष्टि और काव्यात्मकता के साथ कथा शैली के दर्शन होंगें । विमोचन के मुख्य अभ्यागत पूर्व कुलपति डॉ वाघेला ने कहा कि इस उपन्यास में लेखक ने अपने अनुभूत सत्य को हमारे सामने रखा है। उपन्यास का समाज दर्शन हमारे समाज को दिशा निर्देश देता रहेगा। यह एक अध्यापक के अध्यापकीय अनुभवों का अमृत कल भी है जो वर्तमान जीवन की समस्याओं से जुझता दिखाई देता है। प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक डॉ नवनीत चौहान ने कहा है कि मैं डॉ. दिनेश श्रीवास की चिंता से परिचित हुँ । उन्होंने इस उपन्यास में इन्हीं चिन्ताओं को

प्रस्तुत किया है। लेखक की चिंता स्त्री और पुरुषों के संबंधों लेकर है। माली को लेकर है। माली कौन है, माली बहुत बड़ा शब्द है। माली जो समाज को दिशा देता है। माली कोई भी हो सकता है। प्रशासक, नेता, शिक्षक, कोई भी माली हो सकता है। डॉ. कटारा ने कहा कि उपन्यास में वर्तमान समय की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है।

विमोचन में भारत भर के साहित्यकार रहे उपस्थित

पुणे विश्वविद्यालय के डॉ. भालेराव ने कहा कि इस विमोचन में भारत भर के साहित्यकार- प्राध्यापक उपस्थित हैं। आज के समय में साहित्य दलित विमर्श, स्त्री विमर्श , आदिवासी विमर्श में बट गया है ऐसे समय में यह उपन्यास साहित्य को समग्रता में हमारे सामने रखता है। डॉ. गोयल ने कहा कि उद्देश्यपूर्ण साहित्य रचना सरल काम नहीं होता।यह उपन्यास इस मामले में खरा उतरे यही कामना है।डॉ. चम्पा श्रीवास्तव ने उपन्यास के सराहना करते हुए कहा कि इसमें जीवन के कई पक्षों की सशक्त अभिव्यंजना हुई है। विमोचन कार्यक्रम में ग्वालियर के डॉ. शिवकुमार शर्मा, डॉ. चन्दोलिया, अजमेर से डॉ. गजेंद्र मोहन, भीलवाड़ा विश्वविद्यालय से डा. रविकांत,उ.प्र से डॉ. विश्वकर्मा, डॉ. विजेंद्र प्रताप, डॉ. कुलदीप, छत्तीसगढ़ से डॉक्टर राजेश चतुर्वेदी, रायगढ़ वि.वि. से डा. रविंद्र चौबे, अन्य महाविद्यालयों से डा. सुनीता त्यागी, डॉ. रीता यादव, बेला महंत आदि के साथ अन्य प्राध्यापक उपस्थित थे