April 20, 2025

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कटघोरा वनमण्डल में भ्रष्टाचार चरम पर,फर्जी मजदूरों से कर दिए तालाब खुदाई,कोरबा जिलाधीश ने दिया जांच के निर्देश,पोड़ी उपरोड़ा एसडीएम तेंदुलकर करेंगे जांच

प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज कोरबा:- कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल में अधिकारियों की शह पर रेंजर/ डिप्टी रेंजर और निचले स्तर के कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए निर्माण व आर्थिक संबंधी गड़बड़ी की जांच शुरू कर दी गई है। पोड़ी-उपरोड़ा के एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर, पोड़ी-उपरोड़ा जनपद के सीईओ एवं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के एसडीओ की टीम तालाब खुदाई, मजदूरी भुगतान व अन्य मामले की जांच करेगी। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के निर्देश पर यह जांच शुरू की गई है। हर दिन की जांच की रिपोर्ट मांगी गई है।

जंगल में स्टाप डेम घोटाला से लेकर बिना मजदूर लगाए तालाब खोद कर फर्जी मजदूरों के नाम असली रकम निकालकर आपसी बंदरबांट कर लेने का मामला प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज़ काफी प्रमुखता से सामने लाता रहा है। कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत एवं पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम कुटेश्वर नगोई के जंगल में खोदे गए तालाब के एवज में करतला विकासखंड के ग्राम सरगबुंदिया की सरपंच के पति, देवर व अन्य नातेदारों/परिचितों के नाम बीटगार्ड प्रद्युम्न सिंह तंवर (सरपंच का देवर) के माध्यम से किए गए 12 लाख से अधिक के भुगतान का मामला सामने लाया। इसके उपरांत ऐतमानगर, मोरगा, केंदई के जंगल में भी तालाब खोदने के नाम पर कॉलेज और हॉस्टल के छात्रों से लेकर कुछ पत्रकारों यहां तक की संभ्रांत परिवार से वास्ता रखने वाले परिवार के कुछ सदस्यों से लेकर वन विभाग के कर्मचारियों के परिजनों, वार्ड प्रतिनिधि तक को मजदूर बनाकर उनके खाते में पैसे डाले गए। पसान,जटगा,चैतमा, पाली के जंगल में भी भ्रष्टाचार के तालाब निर्मित किए गए। यही नहीं लेंटाना उन्मूलन के नाम पर एक करोड़ 19 लाख का घपला हुआ है। घपले की हद यह है कि नरवा विकास योजना में काम शुरू नहीं हुआ, कहीं पर गड्ढे तो कर दिए गए हैं लेकिन मटेरियल गिरा ही नहीं और उसके एवज में राशि जारी कर दी गई है। जंगल में मंगल की तर्ज पर केंदई वन परिक्षेत्र के ग्राम धजाक से बोटोपाल के मध्य बनाई गई डब्ल्यूबीएम सड़क में भी लाखों का खेल हो गया है। यहां के मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है। मजदूरों ने ही बताया कि जंगल से पत्थर,बोल्डर चुन-चुन कर इकट्ठा किए जिन्हें सड़क में लगाया गया। जंगल की मिट्टी/मुरुम को खोदकर सड़क में लगाया गया लेकिन इसके नाम पर मटेरियल की सप्लाई होना बताकर 25 से 30 लाख का भुगतान प्राप्त कर लिया गया है। पाली, पसान,जटगा के वन गोदाम में रखे-रखे 40 लाख से अधिक के सीमेंट पत्थर हो गए। अकेले कटघोरा वन मंडल में ही करोड़ों का घोटाला फर्जी मजदूरी के नाम पर हुआ है। यह बड़ा ही आश्चर्य है कि डीएफओ इन सब मामलों से खुद को अनजान बताती हैं और फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझतीं। क्या निचले स्तर के अधिकारियों/ कर्मचारियों की इतनी हिम्मत है कि वे डीएफओ को संज्ञान में लिए बगैर इतनी बड़ी गड़बड़ी कर सकते हैं? यदि हां तो नैतिकता के नाते डीएफओ को अपना ट्रांसफर करा लेना चाहिए और यदि नहीं तो उन्हें सभी जिम्मेदार लोगों के प्रति निलंबन के साथ-साथ आर्थिक आपराधिक कृत्य करने के मामले में कठोर से कठोर सजा के अनुशंसा करनी चाहिए।
0 नौकर-चाकर रखने वालों ने भी की मजदूरी
फर्जी मजदूर बनाने का आलम यह है कि जटगा के जंगल में बनाए गए तालाब के निर्माण में नगर के धनाढ्य लोगों को मजदूर बता दिया गया। ऐसे लोग मजदूर बने हैं जो अपने घर खुद नौकर-चाकर रखते हैं और संपन्न परिवार से वास्ता रखते हैं एवं ठेकेदारी के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। बताया जाता है कि 50 लाख के इस तालाब में 37 लाख की मजदूरी इस नामचीन परिवार के सदस्यों के नाम से जारी की गई है।
0 पौने दो करोड़ का कमीशन चर्चा में
कटघोरा के वन महकमे में हाल ही के पौने दो करोड़ रुपए की कमीशनखोरी काफी चर्चा में है। महकमे से ही खबर निकल कर आई है कि कैम्पा व अन्य मद से विकास कार्यों के लिए दिए जाने वाले राशि का चेक काटने हेतु एलओसी हर महीने जारी होती है। पिछले महीनों में 5-5 करोड़ की एलओसी जारी हुई थी जो इस महीने 4 करोड़ रुपए जारी हुई है। पिछले महीने जनवरी माह में उक्त राशि के चेक जारी किए गए जारी किए गए। वन परिक्षेत्र रेंजरों को जारी चेक के एवज में निर्धारित प्रतिशत की कमीशन राशि अलग कर दी गई जो लगभग 1 करोड़ 60 लाख रुपये कलेक्शन हुआ। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि दो जगह का प्रभार देख रहे भरोसेमंद एक रेंजर के द्वारा 4 जनवरी को दो वाहनों के जरिए राजधानी तक का सफर तय कर यह राशि बंगले में पहुंचाई गई। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि एक वाहन में अधिकारी तो उसके पीछे के वाहन में भरोसेमंद रेंजर रकम लेकर मौजूद था। निःसंदेह वन मंडल में आर्थिक अनियमितता को अंजाम देने का एक रैकेट-सा काम कर रहा है। आखिर उन मजदूरों की क्या गलती जिन्होंने अपना खून-पसीना बहा कर गिने-चुने निर्माण कार्यों को अंजाम दिया लेकिन उनकी भी मजदूरी महीनों /वर्षों से लटका कर रखी गई है। फिर चाहे वह कटघोरा हो या कोरबा वन मण्डल, मजदूरों के नाम पर अधिकारी फल-फूल रहे हैं और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। संभवत कटघोरा एक ऐसा वन मंडल होगा जहां की कार्यशैली से परेशान हुए लोग हाईकोर्ट की शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं।