
प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज़। एक कहावत मशहूर है खाने वाले को खाने का बहाना चाहिए। दरअसल बात विगत 2019-20 के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका भर्ती के गलत तरीके से नियुक्ति की है। जिसमें काफी सेक्टरों से सहायिकाओं और कार्यकर्ता की भर्ती उसके नियमावली अनुसार था या यूं कहें जिसका 8वीं, 10वीं 12वीं के अंकसूची में अधिकतम अंक वाले और मांगे गए सभी पात्र कागजात उपलब्ध अभ्यर्थियों को पात्रता दी गई थी। जिसमें जिल्गा, बरपाली, सोलवां और मदनपुर में महिला बाल विकास अधिकारी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी कोरबा (CEO) ने अपने स्वार्थ का स्वांग रचाकर उन पात्र अभ्यर्थियों को अपात्र कर, अपात्र अभ्यर्थियों को लिया गया जिन्होंने महिला बाल विकास अधिकारी को मोटी रकम दी है। इस लेन देन की पूरी घटना क्रम के बारे में पूर्व सीईओ को जानकारी थी जिसके कारण उनके नियुक्ति पत्र पर उन्होंने अपनी हस्ताक्षर नहीं किए। और जैसे ही नए सीईओ ने पद भार संभाला और महिला बाल विकास अधिकारी ने उसे अपने भ्रष्टाचार में शामिल कर नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर भी करवा लिए, जिसे देख और जिसकी जानकारी कोरबा जिला के सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत के प्रतिनिधि संतोष मिश्रा (अधिवक्ता सत्र न्यायालय कोरबा) को मिली। जिसे तत्काल संज्ञान में लेते हुए सांसद प्रतिनिधि संतोष मिश्रा ने जिला कलेक्टर से लिखित शिकायत पत्र दिया है। जोकि पूर्णतया सत्य है। गौरतलब है कि अगर छोटे मोटे अधिकारियों का ये हाल रहा तो भ्रष्टाचार की तूती बोलने लगेगी जिसे अंकुश लगाना अति आवश्यक हो गया है। सांसद प्रतिनिधि संतोष मिश्रा ने कलेक्टर से शिकायत में कहा कि जिस भी सेक्टर में यह खेल खेला गया उसे निरस्त किया जाए, तदोपरांत जांचकर दोष सिद्ध हो जाने पर दोषी के ऊपर कड़ी कार्यवाही किया जाए। और वहां के स्थानीय लोग भी यही कह रहे हैं कि दोषी को सजा और जिस पद की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है, उसे इस पद से पदच्युत किया जावे। सोचने वाली बात है आखिर इतने अभय कैसे हो जाते हैं भ्रष्टाचारी अधिकारी? आखिर कौन देता है संरक्षण? क्या इसमें और भी अधिकारी भी हैं शामिल? महिला बाल विकास अधिकारी ने और भी सेक्टरों से मोटी रकम वसूली है जिसका पता साजी कुछ खूफिया पत्रकारों द्वारा पता साजी किया जा रहा है? सबूत मिलते ही रकम वसूली के भ्रष्टाचारियों को बेनकाब भी किया जाएगा।







इससे आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं कि क्यों 2019 के सहायिका व कार्यकर्ता के नियुक्ति रुकी हुई थी। नए मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) को भी महिला बाल विकास अधिकारी ने मोटी रकम का हिस्सेदार बनाया। जिससे उसकी भ्रष्ट कलम की रफ़्तार योग्य अभ्यर्थी की योग्यता की धज्जी उड़ाई। अगर ऐसा होता रहा तो योग्यता का योग्य खत्म हो जाएगा और शैतानी राज़ शुरू हो जाएगा।
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