May 10, 2025

Prakhar Rashtravad NEWS

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कृषि,गौवंश,प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होने का पर्व है हरेली -संत रामबलकदास महराज

प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज छत्तीसगढ़/पाटेश्वर धाम :-
छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार हरेली मुख्यत: खेती – किसानी और हरियाली से जुड़ा हुआ है। यह पेड़, पौधों, प्रकृति से जुड़ाव का पर्व है। कृषि से जुड़े गौवंश, औजारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का पर्व है। हमें बड़े उल्लास, आनंद के साथ इस पर्व को मनाना चाहिये।श्री पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञासा पर संत श्री रामबालकदास जी ने हरेली पर्व की प्रासंगिकता तथा महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरेली पर्व मनाया जाता है। इस दिन गाय, बैल, भैंस को बीमारियों से बचाने बगरंदा, नमक खिलाया जाता है। कृषि औजारों हल, कुदाल, सब्बल, हसियाॅ, फावड़ा आदि की सफायी कर पूजा की जाती है। खेत में एक कांटे वाला डाल लगाकर इसकी पूजा की जाती है। पशु बुद्धि, प्राणी बुद्धि, वस्तु बुद्धि का भाव न रख परमात्म बुद्धि भाव से इन सबकी पूजा कर इनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। कुल देवताओं की पूजा कर अच्छी फसल की कामना की जाती है। यह छ ग का लोकपर्व तथा फसल लहलहाने की कामना का पर्व है। मातायें गुड़ का चीला और अन्य व्यंजन बनाती हैं। इस दिन गेड़ी और अनेक प्रकार के पारंपरिक खेल खेले जाते हैं। गाॅव, मोहल्ले, घर को बुरी शक्तियों को बचाने अनुष्ठान किये जाते हैं। बाबाजी ने कहा यह छ ग की संस्कृति को जानने, प्रतिष्ठित करने का भी एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। इस पर्व के समय चारों ओर हरियाली रहती है मानो धरती ने हरी चादर ओढ़ ली हो। हरेली के दिन वृक्षारोपण करने का विशेष महत्व है इस दिन यह पुण्य कार्य अवश्य करना चाहिये। प्रकृति के असंतुलन को संतुलित करने की जिम्मेदारी निभाते हुये हरेली पर्व खूब आनंद और उल्लास के साथ मनायें।